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10+ Best Alankar MCQ Online Test Series

By: tinymocker@gmail.com

On: July 13, 2025

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Alankar MCQ Test- यदि आप UP Sub-Inspector, UPPCS, SSC, TGT/PGT या किसी अन्य सरकारी नौकरी की परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो यह जरूरी है कि आप हिन्दी व्याकरण के महत्वपूर्ण टॉपिक — “अलंकार” को अच्छे से समझें। अलंकार न केवल काव्य सौंदर्य का आधार होता है, बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं में इससे जुड़े प्रश्न नियमित रूप से पूछे जाते हैं। इस ऑनलाइन टेस्ट सीरीज़ में हम आपको अलंकार की परिभाषा, प्रकार (शब्दालंकार व अर्थालंकार), उदाहरणों, और प्रैक्टिस Alankar MCQ के माध्यम से इस विषय को पूरी तरह से स्पष्ट करेंगे।
👉 यह टेस्ट खास उन अभ्यर्थियों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो सरकारी नौकरी के लिए सटीक, संक्षिप्त और परीक्षा-उपयोगी सामग्री चाहते हैं।

alankar mcq

Alankar MCQ Test Series

Alankar Quiz 1

Question : 12

Time:

Alankar Quiz 2

Question : 12

Time:

Alankar Quiz 3

Question : 12

Time:

अलंकार की परिभाषा:

अलंकार हिंदी साहित्य में वह साधन है जो काव्य की शोभा को बढ़ाता है। ‘अलंकार’ शब्द का अर्थ है ‘आभूषण’। जैसे आभूषण शरीर की सुंदरता को निखारते हैं, वैसे ही अलंकार काव्य के भाव और शब्दों को और आकर्षक बनाते हैं। सरल शब्दों में, अलंकार वे साहित्यिक उपकरण हैं जो कविता में चमत्कार उत्पन्न करते हैं और पाठक के मन पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
आचार्य दंडी के अनुसार, “काव्यशोभाकरान् धर्मान् अलंकारान् प्रचक्षते” अर्थात् काव्य की शोभा बढ़ाने वाले गुणों को अलंकार कहते हैं।

अलंकार की उत्पत्ति :

अलंकार की अवधारणा भारतीय काव्यशास्त्र में प्राचीन काल से विद्यमान है। संस्कृत साहित्य में अलंकारों का विस्तृत अध्ययन मिलता है, जिसे हिंदी साहित्य ने अपनाया। प्राचीन काव्यशास्त्रियों जैसे भामह, दंडी, रुद्रट और विश्वनाथ ने अलंकारों को काव्य का अनिवार्य अंग माना। संस्कृत के काव्यशास्त्र ग्रंथों जैसे काव्यादर्श और साहित्यदर्पण में अलंकारों का विस्तार से वर्णन है।
हिंदी में अलंकारों का विकास भक्ति और रीति काल में विशेष रूप से हुआ, जब कवियों ने अपनी रचनाओं को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए अलंकारों का उपयोग किया। अलंकारों की उत्पत्ति का मूल उद्देश्य काव्य को रसपूर्ण, प्रभावी और सौंदर्यपूर्ण बनाना था।

अलंकार के भेद :

  • अलंकारों को मुख्य रूप से दो प्रमुख वर्गों में बांटा जाता है:
  • शब्दालंकार: ये अलंकार शब्दों की ध्वनि, संरचना या उनके प्रयोग पर आधारित होते हैं।
  • अर्थालंकार: ये अलंकार काव्य के अर्थ या भाव को सुंदर बनाने पर आधारित होते
1. शब्दालंकार :

शब्दालंकार वे हैं जो शब्दों की ध्वनि, पुनरावृत्ति या संरचना से काव्य में चमत्कार उत्पन्न करते हैं। प्रमुख शब्दालंकार निम्नलिखित हैं:

(i). अनुप्रास अलंकार :

परिभाषा: जब काव्य में एक ही वर्ण या ध्वनि की बार-बार आवृत्ति होती है, तो उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं।
उदाहरण:- “चंद्र चाँदनी चमक रही”
विवरण: इस पंक्ति में ‘च’ वर्ण की पुनरावृत्ति अनुप्रास अलंकार को दर्शाती है। यह काव्य में लय और संनाद उत्पन्न करता है।

(ii). यमक अलंकार :

परिभाषा: जब एक ही शब्द का प्रयोग भिन्न-भिन्न अर्थों में होता है, तो उसे यमक अलंकार कहते हैं।
उदाहरण: “कनक-कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय”
विवरण: इस पंक्ति में “कनक” शब्द का प्रयोग पहले सोने और फिर धतूरे के अर्थ में हुआ है, जो यमक अलंकार का उदाहरण है।

(iii). श्लेष अलंकार

परिभाषा: जब एक शब्द के एक से अधिक अर्थ निकलते हैं, तो उसे श्लेष अलंकार कहते हैं।
उदाहरण:- “रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून”
विवरण: यहाँ “पानी” का अर्थ जल और सम्मान दोनों है, जो श्लेष अलंकार को दर्शाता है।

2. अर्थालंकार :

अर्थालंकार वे हैं जो काव्य के अर्थ या भाव को और प्रभावशाली बनाते हैं। प्रमुख अर्थालंकार निम्नलिखित हैं:

(i) उपमा अलंकार :

परिभाषा: जब किसी वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी दूसरी वस्तु या व्यक्ति से की जाए और दोनों में समानता हो, तो उसे उपमा अलंकार कहते हैं। इसमें “जैसे”, “समान”, “सी” जैसे शब्दों का प्रयोग होता है।
उदाहरण:- “मुख चंद्रमा समान है”
विवरण: यहाँ मुख की तुलना चंद्रमा से की गई है, जो उपमा अलंकार का उदाहरण है।

(ii) रूपक अलंकार :

परिभाषा: जब उपमेय और उपमान में अभेद आरोप हो, अर्थात् एक को दूसरे के रूप में पूर्णतः देखा जाए, तो उसे रूपक अलंकार कहते हैं। उदाहरण:- “पांवों में पंख लगे हैं”
विवरण: यहाँ पांवों को पंख के रूप में देखा गया है, जो रूपक अलंकार है।

(iii) अतिशयोक्ति अलंकार :

परिभाषा: जब किसी गुण या क्रिया का अतिशय वर्णन किया जाए, जो सामान्य रूप से संभव न हो, तो उसे अतिशयोक्ति अलंकार कहते हैं। उदाहरण:- “सात समंदर पार कर आया”
विवरण: सात समंदर पार करना असंभव है, जो अतिशयोक्ति को दर्शाता है।

(iv) उत्प्रेक्षा अलंकार :

परिभाषा: जब किसी वस्तु में संभावना के आधार पर दूसरी वस्तु की कल्पना की जाए, तो उसे उत्प्रेक्षा अलंकार कहते हैं। इसमें “मानो”, “ज्यों” जैसे शब्द आते हैं। उदाहरण:- “कमल-नयन मानो अमृत बरसे”
विवरण: यहाँ नयनों को कमल की तरह और उनकी दृष्टि को अमृत की तरह माना गया है।

(v) संदेह अलंकार :

परिभाषा: जब किसी वस्तु के बारे में संदेह व्यक्त किया जाए कि वह यह है या वह, तो उसे संदेह अलंकार कहते हैं।
उदाहरण:- “यह सूरज है या चंद्रमा?”
विवरण: यहाँ सूरज और चंद्रमा के बीच संदेह व्यक्त किया गया है।

(vi) संनाद अलंकार :

परिभाषा: जब किसी वस्तु की समानता के आधार पर उसका दूसरी वस्तु से संबंध जोड़ा जाए, तो उसे संनाद अलंकार कहते हैं।
उदाहरण:- “जैसे कमल जल में खिलता है, वैसे ही वह सभा में शोभित है”
विवरण: यहाँ व्यक्ति की तुलना कमल से की गई है, जो संनाद अलंकार है।

(vii) विरोधाभास अलंकार :

परिभाषा: जब कोई बात विरोधी प्रतीत हो, परंतु वास्तव में विरोध न हो, तो उसे विरोधाभास अलंकार कहते हैं।
उदाहरण:- “अंधेरे में उजाला बस्ता है”
विवरण: अंधेरे और उजाले का विरोध प्रतीत होता है, पर यहाँ गहरा अर्थ है।

निष्कर्ष :

इस Alankar MCQ Test Series के माध्यम से न केवल आपने अलंकार के प्रकार, उनकी परिभाषाएं और उदाहरणों को समझा, बल्कि अभ्यास प्रश्नों के जरिए अपनी जानकारी को परखा भी। अलंकार हिन्दी व्याकरण और काव्य का एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर पूछा जाता है। इस टेस्ट ने आपको परीक्षा दृष्टि से उपयोगी तथ्यों को सरल और सटीक रूप में प्रस्तुत किया। यदि आपको यह Alankar mcq पोस्ट अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें |

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